Saturday, August 15, 2009

आज की तरक्की निशचित की थी कल के शहीदों ने

15 अगस्त 1947 की आधी रात को अंग्रेजी चंगुल से आज़ाद हुआ भारत आज तरक्की के शिखर पर है। भारत ने तकनीक के लगभग हर क्षेत्र में अपना परचम फहराया है।

इस के तकनीकी वैज्ञानिकों ने इसे तकनीक के क्षेत्र में बुलन्दीयों पर पहुँचाया है। अक्तूबर 2008 में भेजा गया भारतीय चन्द्र अभियान चन्द्रयान-1 तो इस की सिर्फ एक ही मिसाल है।

भारतीय पनडुब्बी 'अरिहंत' जो कि 1999 में वाजपेयी सरकार दुआरा प्रस्तावित नयी परमाणु नीति के अंतर्गत निर्धारित समय से पहले 26 जुलाई को कारगिल दिवस की जयंती के अवसर पर समंदर में उतारी गई है। यह पनडुब्बी पूर्ण स्वदेशी तकनीक पर आधारित है जिस में थोड़ी बहुत विदेशी मदद भी हासिल की गई है।

रूस के सहयोग से बनाई गई सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस का उन्नतीकरण अभी भी जारी है और भारत इसके दो संस्करण पहले ही अपनी थलसेना तथा जलसेना में शामिल कर चुका है जबकि तीसरा संस्करण भारत को ऐसी तकनीकी मिसाइल वाला एकमात्र एशियाई देश बना देगा।

इसके अलावा देश में चल रहे बुनियादी निर्माण विकास कार्यक्रम जैसे कि मेट्रो रेल परियोजना, सड़क परियोजनाएँ, बिजली परियोजनाएँ, परमाणु परियोजनाएँ आदि भारतीय तरक्की का शिखर बनने को आतुर हैं।

इतना ही नहीं भारत ने आर्थिक क्षेत्र में जो प्रगति की है वह तो पूरी दुनिया के सामने मिसाल है क्योंकि जहाँ एक ओर पूरी दुनिया आर्थिक मंदी का शिकार हुई है और अभी भी उससे बाहर निकलने के लिए प्रयासरत है तो दूसरी ओर भारत पर मंदी का कम असर हुआ और इससे उबरने वालों में हमारा देश अग्रणी है।

इसका कारण है हमारे आर्थिक विशेषज्ञों की व्यूह रचना जो उन्होंने रची। इसी के चलते आज भारत को विदेशों से अनाज का कम मात्रा में आयात करना पड़ रहा है। यहाँ के शॉपिंग मालों और गोदामों में तो इतने खाद्य पदार्थ हैं कि युद्ध की स्थिति में इन्हें कई महीनों तक इस्तेमाल किया सके।विदेशों में जहां लोग रोजगार गँवा रहे हैं वहीं भारत में इस साल हजारों लोगों को नौकरी पर रखा गया।

इन सबके अलावा शीर्ष भारतीय वैज्ञानिक और इसरो प्रमुख जी. माधवन नायर ने आईआईटी करके निकले विद्यार्थियों के सामने कई परियोजनाएँ पेश की हैं जिनमें शामिल है नैनो तकनीक पर आम लोगों के इस्तेमाल के लिए शोध, भारत द्वारा बनाया जाने वाला उपग्रह संजाल, अंतरिक्ष में उपग्रह आदि भेजने के लिए रॉकेट ईंधन में परिवर्तन के लिए शोध जैसे कार्य प्रस्तुत किए हैं।

नायर के दिखाए हुए कार्य भी हम आज नहीं तो कल पूर्ण कर लेंगे मगर हमें इस तरक्की के काबिल बनाने वाले हैं हमारे वो महान शहीद जो खुद तो आन्दोलन करते हुए शहीद हो गए मगर हमें जाते-जाते एक सुखमय एवं उजला जीवन दे गए। सो आज स्वाधीनता की इस 62वीं वर्षगाँठ के पर्व को शान से मनाएँ और उन्हें नमन करें क्योंकि हमारी आज की तरक्की की नींव उन्होंने ही रखी थी।

हम ये स्वाधीनता दिवस मात्र इसलिए नहीं मनाएँ कि आज के दिन राष्ट्रीय छुट्टी है बल्कि इस लिए अपनी भावी पीढ़ी को भी बताएँ के हमारे आज के सुख चैन के लिए वो फांसी के तख्ते पर झूल गए क्योंकि किसी ने सच ही कहा है "जो कौम अपने शहीदों को भूल जाती है वो समूल नष्ट हो जाती है।"

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